If the poem comes out of the heart of the poet and touches the heart of the reader, then it becomes variable. This talk applies to Shri Vinod Kumar Tripathi’s poetry
कविता अगर शायर के दिल से निकले और पढ़नेवालों के दिल को छू जाय तो वो चरितार्थ हो जाती है। ये बात श्री विनोद कुमार त्रिपाठी जी की शायरी पर…